Thursday, June 3, 2010

हिंदी महत्व

आज़ादी के उपरांत हिंदी भाषा को राष्ट्रीय भाषा होने का स्थान प्राप्त हो गया था परन्तु कुछ वर्षो से हिंदी का महत्व निरंतर घटता जा रहा है| इसका एक मात्र कारण अंग्रेजी भाषा का बढता प्रचालन है| परन्तु यह पहली बार नहीं है की कोई विदेशी भाषा का हमारी भाषा में मिश्रित हो जाना| भारत वर्ष सेकड़ो वर्ष से विदेशी देशो में काफी प्रसिद्ध था| इसलिए यहाँ अनेको आक्रमण हुए और दोनों सभ्यताओ का मिलन हुआ जैसे मुग़ल, ईरानी, अरबी, पुर्तगाली, अंग्रेजी इत्यादी| उर्दू भाषा का जन्म भारत में ही हुआ था| उर्दू का अर्थ है सैनिकों की भाषा, जब मुगलों ने भारत पर शाशन किया तो उन्होंने इस भाषा का निर्माण किया जो की हिंदी एवं अरबी भाषा का मिश्रण है| परन्तु कुछ वर्षो से अंग्रेजी भाषा की लोकप्रियता भाद्ती जा रही है| इसका एक कारण पस्चामीसभ्यता का आगमन है जिसके आकर्षण में हिंदी का महत्व लुप्त हो रहा है| लोग वह के तोर तरीको में लीन होते जा रहे है| विज्ञापनों, हिंदी सिनेमा, सस्किये संस्थाओ, गीत एवं देनिक वार्तालाप में अंग्रेजी भाषा का प्रचुर प्रयोग me निरंतर वृद्धि हुई है| कई संस्थानों में तो हिंदी भाषीयों के लिए कोई पद नहीं है| हिंदी भाषी नागरिक जिन्हें अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नही है उन्हें हीन भावना की दृष्टी से देखा जाता है| अपने देश में ही अपनी भाषा के दुर्गति के ज़िम्मेदार कोई और नही हम है| अत: प्रत्येक नागरिको को यह बात कंठस्थ कर लेना चाहिए की कोई भाषा किसी को महँ नही बनती, हमारे आचार एवं विचार हमे उच्च कोटि तक पहुचती है| हमारी भाषा हमारी धरोहर है इसका सरश्रण हमारी ही हाथो में है|

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